नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 27 अक्तूबर 2014

बड़े भाई


सन्डे की की सुबह-सुबह घंटी बजने पर पत्नी ने दरवाजा खोला तो सामने हाथ में एक बैग लिए पतिदेव के बड़े भाई खड़े थे. पत्नी ने अनमने भाव से उन्हें प्रणाम किया और सामने कमरे में ही उन्हें बैठाकर वापस बेडरूम पहुंची तो पति ने उंघते हुए पूछा कौन है इतनी सुबह-सुबह?.
और कौन होगा"! आपके बड़े भाई साहब ही हैं. हर महीने आपसे मिलने चले आते हैं.
 अब हमारी आज की पिकनिक का क्या होगा!.पति भी सोच में पड़ गया.
आज महीनों के बाद पिकनिक जाने की तैयारी बनी थी और बड़े भाई ने आकर पूरा प्लान ही चौपट कर दिया.
 मगर बड़े भाई भी क्या करें भाभी २ साल पहले ही गुजर चुकी हैं, दोनों बेटे अपनी नौकरी में ही व्यस्त रहते हैं. बहुएं भी उनका ध्यान नहीं रखती हैं इसलिए महीने में -२ दिन के लिए यहाँ पर आ जाते हैं. पत्नी थोडा भुनभुनाती जरूर है मगर पति संभाल लेता है.
पति भी उठकर बड़े भाई के पास गया. पांव छुए और हाल-चाल पूछने लगा.
घंटे के बाद फिर से दरवाजे की घंटी बजी. पति ने दरवाजा खोला तो सामने पत्नी के बड़े भाई सपरिवार खड़े थे. सब लोग अन्दर आये और हाल-चाल होने लगा.
 पति ने थोडा मौका मिलते ही पत्नी से पूछा क्यों जी अब हमारी पिकनिक का क्या होगा!.
 पत्नी ने आँखें तरेरते हुए कहा मैं खूब समझती हूँ तुम्हारे इशारे. ताने मत मारो, पंद्रह दिन के बाद तो मेरे भाई-भाभी यहाँ घूमने आये हैं और तुम्हें पिकनिक जाने की पड़ी है!
पति ने चैन की सांस ली कि आज का दिन अच्छा गुजरेगा. पत्नी मेरे बड़े भाई को लेकर ताने तो नहीं मारेगी!...........
 
कृष्ण धर शर्मा 10.2014

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