नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 31 अगस्त 2011

स्वर्ग का सुख

एक ग्रामीण ने महात्मा जी से प्रश्न किया कि "महाराज! स्वर्ग का सुख किसे मिलता है?".
महात्मा जी ने पास में ही खेल रहे एक बालक को देखकर कहा "इसे".
यह सुन कर ग्रामीण ने कहा "मैं आपका कहने का मतलब नहीं समझा प्रभु!.
तब महात्माजी बोले "जो बच्चे की तरह भोला और निश्छल है, वही स्वर्ग का सुख पाने योग्य है.

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