नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 13 सितंबर 2009

नौटंकी दुनिया भर की…

एक बालक जिद पर अड़ गया… बोला की छिपकली खाऊंगा. घरवालों ने बहुत समझाया पर नहीं माना !! हार कर उसके गुरु जी को बुलाया गया। वे जिद तुड़वाने में महारथी थे.. गुरु के आदेश पर एक छिपकली पकड़वाई गई. उसे प्लेट में परोस बालक के सामने रख गुरु बोले, ले खा… बालक मचल गया.. बोला, तली हुई खाऊंगा.. गुरु ने छिपकली तलवाई और दहाड़े, ले अब चुपचाप खा. बालक फिर गुलाटी मार गया और बोला, आधी खाऊंगा.. छिपकली के दो टुकड़े किये गये.. बालक गुरु से बोला, पहले आप खाओ. गुरु ने आंख नाक भींच कर किसी तरह आधी छिपकली निगली… गुरु के छिपकली निगलते ही बालक दहाड़ मार कर रोने लगा की आप तो वो टुकड़ा खा गये जो मैंने खाना था.. गुरु ने धोती सम्भाली और वहां से भाग निकले की अब जरा भी यहां रुका तो ये दुष्ट दूसरा टुकड़ा भी खिला कर मानेगा… करना-धरना कुछ नहीं, नौटंकी दुनिया भर की…

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें